★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{WHO ने कहा अनिल सोनी स्वास्थ्य क्षेत्र में नए प्रयोगों और लोगों को स्वस्थ जीवन की ओर ले जाने हेतु अभियान की अगुवाई करेंगे}
[WHO में चीफ़ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर बनाये जाने से पहले सोनी ग्लोबल हेल्थकेयर कम्पनी वियाट्रिस में काम कर रहे थे]
♂÷भारतीय अपनी मेधा के बलबूते पूरी दुनियां में देश का नाम रोशन कर रहे हैं और इसी कड़ी में भारतीय मूल के अनिल सोनी को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) में एक बेहद महत्वपूर्ण पद पर उनकी नियुक्ति की गयी है।
हाल ही में ही बनाए गए WHO फाउंडेशन के पहले चीफ एग्जक्यूटिव ऑफिसर के तौर पर अनिल सोनी के नाम का चयन किया गया है,ये फाउंडेशन विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ दुनिया में स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर काम करेगा।CEO अनिल सोनी एक जनवरी से अपना कार्यभार संभालने जा रहे हैं।
डब्लूएचओ की तरफ से अनिल सोनी की नई जिम्मेदारी को लेकर बयान भी आया है। डब्लूएचओ की तरफ से कहा गया है कि अनिल सोनी स्वास्थ्य क्षेत्र में नए प्रयोगों और लोगों को स्वस्थ जीवन की ओर ले जाने की कोशिशों और अभियान की अगुवाई करेंगे और नए प्रयोगों को बढ़ावा देंगे।
डब्लूएचओ फाउंडेशन एक स्वतंत्र अनुदान एजेंसी है और इसका मुख्यालय जिनेवा में स्थित है।मई 2020 में इसके गठन की घोषणा की गई थी। फाउंडेशन का मकसद डब्लूएचओ के साथ मिलकर स्वास्थ्य क्षेत्र में आ रही दुनियाभर की चुनौतियों का सामना करने का होगा।
डब्ल्यूएचओ फाउंडेशन में नियुक्ति से पहले अनिल सोनी ग्लोबल हेल्थकेयर कंपनी वियाट्रिस में काम कर रहे थे। सोनी वियाट्रिस में विश्व संक्रामक रोग विभाग के मुखिया के तौर पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। अनिल सोनी ने कहा कि दुनिया इस वक्त वैश्विक जन स्वास्थ्य के सबसे बड़े संकट भरे दौर में है। कोरोना महामारी से महीनों लंबी लड़ाई के बाद अब कुछ उम्मीदें दिखाई दे रही हैं,अब कई कामयाब वैक्सीन के विकल्प दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस सबके बीच ये जरूरी हो गया है कि अब स्वास्थ्य को प्राथमिकता पर रखना होगा और इस क्षेत्र में बड़ा निवेश भी करना होगा।
वहीं, अनिल सोनी के करियर की बात करें तो वो पिछले दो दशक से भी ज्यादा वक्त से हेल्थकेयर सेक्टर में एक इनोवेटर की भूमिका निभा रहे हैं।कम और मध्यम आय वाले देशों में हेल्थकेयर को लेकर पब्लिक, प्राइवेट और नॉन प्रॉफिटेबल संस्थाओं को बढ़ाना देने में अनिल सोनी का बड़ा योगदान माना जाता है।वियाट्रिस में काम करते हुए अनिल सोनी ने कम लागत पर दवाई मुहैया कराने में अहम भूमिका निभाई थी।
अनिल सोनी ने एचआईवी के साथ पैदा हुए बच्चों की दवाओं की कीमत में 75 फीसदी तक की कमी कराने में कामयाबी हासिल की थी,हाल ही में इन दवाओं को डब्ल्यूएचओ की भी मंजूरी मिल चुकी है।