★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{मेहनतकश हिंदी भाषियों की यादों को जीवंत रखने तथा उनसे आधुनिक पीढ़ी को प्रेरणा देने के लिए ही किया गया”परिश्रम”संस्था का गठन=कृपाशंकर}
[मुम्बई व आसपास के शहरों में रहने वाले बहुसंख्य हिंदी भाषियों के स्वाभिमान,आत्मविश्वास को जगाने को लेकर निकाल रहे हैं “संकल्प यात्रा”कृपाशंकर सिंह]
(बीएमसी की 227 सीटों में से 105 पर उत्तर भारतीय समाज के मतदाता निभाते हैं कि किंगमेकर की भूमिका, उत्तर भारतीय नेताओं ने किया है एलान इस बार हम तय करेंगे महापौर)
♂÷गत 13 फरवरी को अंधेरी के जेबी नगर में हुई “परिश्रम:द वॉइस ऑफ हार्ड वर्कर्स” नाम से आंदोलन शुरू करने की रूपरेखा तय हुई थी।बैठक में “आपका सम्मान हमारा स्वाभिमान” यात्रा के तहत मुम्बई के एक लाख उत्तर भारतीय घरों तक पहुँचने की संकल्प लिया गया था।
उसी कड़ी में अब 21 फ़रवरी को”परिश्रम संकल्प यात्रा” का शुभारम्भ महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्य मंत्री तथा लोकप्रिय व क़द्दावर उत्तर भारतीय नेता कृपाशंकर सिंह करने जा रहे हैं।
पूर्व मंत्री श्री सिंह की “परिश्रम” संकल्प यात्रा का शुभारंभ रविवार 21 फरवरी की सुबह 9 बजे चक्कीखान,वाकोला ,सांताक्रुज पूर्व से होने जा रहा है।
इस अवसर पर महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री मंत्री चंद्रकांत त्रिपाठी, पूर्व मंत्री रमेश दुबे, पूर्व विधायक राजहंस सिंह, एडवोकेट अखिलेश चौबे समेत अनेक गणमान्य उत्तर भारतीय उपस्थित रहेंगे। कोरोना नियमों का पालन करते हुए संकल्प यात्रा धोबी घाट,सागर बिल्डिंग, राजाराम सिंह कंपाउंड,रामजी डेयरी, कृष्णा बिल्डिंग,गाँवदेवी रामेश्वर विद्यामन्दिर,धीरज मेडिकल स्टोर,गाँवदेवी,गाँवदेवी पुलिसचौकी ,कांच कारखाना, वाकोला पाईप लाईन,हंसराज सिंह का तबेला, लालमन सिंह का तबेला, दत्तमन्दिर,डवरी नगर, विश्वकर्मा समिति, पारसीवाडी ,हनुमान मंदिर, होटल गीता विहार, राधाकृष्ण मंदिर, चुनाभट्टी , शास्त्री नगर, ठाकुर टायर, हलाओ पुल, पटेल वाड़ी, मसरानी रोड, जैन मंदिर एल.बी.एस. मार्ग कुर्ला पश्चिम में खत्म होगी। हुए कुर्ला समाप्त होगी।कालीना में समाप्त होगी।परिश्रम संस्था के माध्यम से मुंबई तथा आसपास के शहरों में रहने वाले बहुसंख्य हिंदी भाषियों के स्वाभिमान, संगठन तथा आत्मविश्वास को जगाने का संकल्प लेकर कृपाशंकर सिंह संकल्प यात्रा कर रहे हैं। कृपाशंकर सिंह के अनुसार आज का हिंदी भाषी समाज, समाज के हर क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका अदा कर रहा है। उसके पास उपलब्धियों और संसाधनों की कमी नहीं है। देखा जाए तो हिंदी भाषियों के विकास के पीछे हमसे पहले मुंबई आए उन मेहनतकश लोगों का विशेष योगदान है, जिन्होंने कठिन परिश्रम करके हमारे लिए एक फाउंडेशन तैयार किया। उन्होंने कहा कि हमें उनकी मेहनत से सीख लेनी चाहिए। उनकी संघर्ष गाथा, हमारे लिए प्रेरणास्रोत है। मेहनतकश हिंदी भाषियों की यादों को जीवंत रखने तथा उनसे आधुनिक पीढ़ी को प्रेरणा देने के लिए उन्होंने परिश्रम संस्था का गठन किया है।
मालूम हो कि मुम्बई महानगरपालिका क्षेत्र में उत्तर भारतीय सर्वाधिक बड़ी सँख्या में रहते हैं और बीएमसी की 227 सीटों में से 105 सीट पर किंगमेकर की भूमिका निभाने वाली अहम वोटिंग करता है।
जिसके मद्देनजर ही 13 फ़रवरी की पिछली बैठक में कृपाशंकर सिंह समेत सभी नेताओं ने हुंकार भरी थी कि अगला महापौर उत्तर भारतीय समाज तय करेगा।
