लेखक~मार्कण्डेय स्वर्णकार
वास्तविक जीवन में रामभक्त त्रिवेदी जी को प्रमुख पुजारी रेवती बाबा ने कहा ये हनुमानजी को बार-बार मर्कट और श्रीराम को वन-वन भटकता वनवासी कह कर करता था सम्बोधित
♂÷गत शुक्रवार को देश-विदेश में हजारों पर्दे पर रिलीज की गई रामायण पर आधारित फ़िल्म “आदिपुरुष” जहाँ आज अपने सम्वाद,कलाकारों के गेटअप,अभिनय को लेकर रामभक्तों और रामायण मर्मज्ञजनों के निशाने पर है तो वहीं एक घटना का उल्लेख करना निश्चित ही जरूरी हो गया है।
यह वाकया वर्ष 1994 के आस पास की बात है अरविंद त्रिवेदी जी (रावण का अभिनय करने वाले) अयोध्या हनुमान गढ़ी पर संकट मोचन श्री हनुमान जी महाराज के दर्शन करने आए थे. उस समय रेवती बाबा प्रमुख पुजारी थे. वे अकड़ गये, अडिग हो गये की मै इनको किसी भी कीमत पर दर्शन नही करने दुँगा क्योंकि ये हनुमान जी को बार बार मरकट और श्री राम को वन वन भटकता वनवासी कह कर संबोधित करता रहा है।
प्रशासन घुटनों पर बैठ गया था पर पुजारी जी झुके नहीं, त्रिवेदी जी को निराश वापस जाना पड़ा. उधर रावण का अभिनय करने पर त्रिवेदी जी एकदम शून्य,शिथिल रहने लगे।
फिर इसके बाद त्रिवेदी जी ने अपने घर के कमरों और दीवारों पर दोहे और चौपाइयों लिखवाए, घर के बाहर एक बड़ा सा बोर्ड लगवाया और उस पर लिखवाया “श्री राम दरबार”। तिस पर भी मन मे यह संताप रहने लगा कि मैंने बार बार प्रभु श्री राम को भले ही सीरियल में सही परन्तु अपमानजनक शब्द कहे हैं तो उन्होने हर साल रामायण का पाठ करवाना शुरू कर दिया इसके प्रायश्चित के लिए।
वास्तविक जीवन मे ञिवेदी जी प्रभु श्रीराम के बहुत बडे़ भक्त थे।

सोचिए जो राम के भक्त थे उन पर मात्र अभिनय में प्रभु राम जी को अपशब्द कहने पर इतने संताप झेलने पड़े तो जो आज स्वयं अपनी राजनीति या सनातन को नीचा दिखाने के लिये प्रभु राम को अपशब्द कहतें हैं या गलत चित्रण करते हैं उनका अंजाम क्या होगा?