★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
[किसी भी हालत में प्रियंका नही बनेगी पार्टी अध्यक्ष=काँग्रेस अध्यक्ष]
{पार्टी की हार व कुछ वरिष्ठ नेताओं द्वारा अपने बेटों को ही टिकट दिलाने,जिताने में लगे होने से बुरी तरह खफ़ा है पार्टी अध्यक्ष राहुल}
[लोकसभा में करूँगा पार्टी का नेतृत्व,पार्टी की मजबूती के लिए किसी भी भूमिका में करूँगा काम लेकिन नही रहूँगा अध्यक्ष साफ़ कहा राहुल ने]

(मंगलवार से ही राहुल के आवास पर चल रहे है बैठकों के दौर,वरिष्ठ नेताओं द्वारा राहुल को समझाने की चल रही है कोशिशें)
[सबसे पहले महासचिव प्रियंका वाड्रा गाँधी, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल व राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट के साथ कि बैठक राहुल ने]
♂÷राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने पर अड़े हुए हैं, राहुल ने पार्टी के एक बड़े नेता से कहा कि एक महीने के अंदर इस पद के लिए नया विकल्प ढूंढे।
वहीं राहुल ने कहा कि जब तक नया विकल्प नहीं मिलता वे एक महीने तक इस पद पर बने रहने के लिए तैयार हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने राहुल को समझाने की कोशिश की लेकिन उन्होंने कहा कि मैं इस पद को छोड़ने के लिए अपना मन बना चुका हूं।
प्रियंका गांधी वाड्रा को पार्टी अध्यक्ष बनाने पर राहुल ने कहा कि मेरी बहन को इस सबसे दूर रखें और प्रियंका किसी भी हालत में पार्टी अध्यक्ष नहीं बनेगी।

वहीं राहुल गाँधी ने कहा कि वे लोकसभा में पार्टी का नेतृत्व करने को तैयार हैं।उन्होंने आगे कहा कि पार्टी को मजबूत करने के लिए किसी भी अन्य भूमिका में मैं काम करूंगा लेकिन अध्यक्ष नहीं रहूंगा।
राहुल गांधी मंगलवार सुबह से ही अपने आवास पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठकें कर रहे हैं। राहुल ने सबसे पहले पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा , संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के साथ बैठक की।
इससे पहले सोमवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वेणुगोपाल से मुलाकात की थी। राहुल गांधी ने अहमद पटेल और केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की और दोनों से गांधी परिवार के बाहर से किसी नए पार्टी अध्यक्ष को तलाशने की बात कही थी।
राहुल गांधी ने बैठक में लोकसभा चुनाव में राजस्थान में कांग्रेस के सफाए को लेकर पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में नाराजगी जताए जाने और राज्य सरकार के कुछ मंत्रियों की ओर से जवाबदेही तय करने की मांग की पृष्ठभूमि पर चर्चा भी की।
मालूम हो कि राहुल गांधी ने 25 मई को दिल्ली में हुई काँग्रेस कार्यसमिति की बैठक में लोकसभा चुनाव में राजस्थान और मध्य प्रदेश में पार्टी के सफाए को लेकर विशेष रूप से नाराजगी जताई थी।
सूत्रों के मुताबिक, सीडब्ल्यूसी की बैठक में राहुल गांधी ने गहलोत, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम सहित कुछ बड़े क्षेत्रीय नेताओं का उल्लेख करते हुए कहा था कि इन नेताओं ने बेटों-रिश्तेदारों को टिकट दिलाने के लिए जिद्द की,
और उन्हीं को चुनाव जिताने में लगे रहे और दूसरी सीटों पर ध्यान नहीं दिया। इसी बैठक में हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए गांधी ने इस्तीफे की पेशकश की थी।
हालांकि काँग्रेस कार्यसमिति ने प्रस्ताव पारित कर इसे सर्वसम्मति से खारिज कर दिया और पार्टी में आमूलचूल बदलाव के लिए पार्टी प्रमुख राहुल गाँधी को अधिकृत किया है।
कुल मिलाकर ये देखना दिलचस्प रहेगा कि राहुल गाँधी अपने इस्तीफ़े को एक महीने बाद देकर गाँधी परिवार के ऑक्सीजन पर जिंदा रहने वाली देश की सवा सौ साल पुरानी पार्टी के प्रेसीडेंट पोस्ट को बाय बाय कर देंगे कि या फ़िर जिस तरह से काँग्रेस में राहुल एंड टीम के इतर भी गुटबाजी है और इन गुटबाजो को ऊपर से अप्रत्यक्ष ताक़त भी मिलती रहती है को राहुल गाँधी एंड टीम एक सोचे समझे स्क्रिप्ट के तहत राहुल के इस्तीफ़े के पीछे से उन घुटे दिग्गज कॉंग्रेसियो के पर कटर पाएंगे कि एक बार फिर वही पुरानी ख़ानदानी कहानी से काँग्रेस व देश दो चार होगा।
फ़िलहाल तब तक काँग्रेस पार्टी में चल रहे राजनैतिक तेल व तेल की धार देखना दिलचस्प रहेगा।
उधर लोकसभा में काँग्रेस संसदीय दल के नेता रहे दलित समुदाय के तगड़े नाम खड़गे चुनाव हार गए है तो अब राहुल ने खुद ही कह दिया है कि लोकसभा में वो काँग्रेस संसदीय दल के नेता की भूमिका निभाएंगे।