★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{370 पर अकेले पड़ा PAK, इमरान को नहीं मिला अमेरिका, चीन-मुस्लिम देशों का साथ}
[अमेरिका की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मोर्गन ओर्त्ताग्स ने कहा कि हम जम्मू कश्मीर के घटनाक्रम पर करीब से नज़र बनाये हुए हैं]
(कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ खड़े होने वाले इस्लामिक सहयोग सन्गठन की तरफ़ से भी 370 ख़त्म किये जाने पर नही आयी अभी तक कोई प्रतिक्रिया)

♂÷भारत सरकार ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधान को खत्म कर दिया। भारत के इस कदम पर सबसे ज्यादा आपत्ति पाकिस्तान ने जताई।पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान मुस्लिम देशों और अपने मित्र देशों से लगातार गुहार लगा रहे हैं लेकिन फिलहाल वह अपने इस विरोध में अलग-थलग पड़ गए हैं।
भारत के कदम के खिलाफ पाकिस्तान को दुनिया भर में कहीं से भी मदद नहीं मिल रही है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को बयान जारी कर कहा, भारत अधिकृत जम्मू-कश्मीर अंतरराष्ट्रीय तौर पर विवादित क्षेत्र है।इस अंतरराष्ट्रीय विवाद में एक पक्ष होने के नाते पाकिस्तान इस अनुचित कदम का विरोध करने के लिए हर विकल्प का इस्तेमाल करेगा।

पाकिस्तान कश्मीर विवाद को बार-बार अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाने की कोशिश कर रहा था लेकिन अब इस्लामाबाद आत्मनिरीक्षण कर रहा होगा कि कहीं राष्ट्रपति ट्रंप के कश्मीर पर मध्यस्थता के प्रस्ताव का दांव ही तो उल्टा नहीं पड़ गया।
पाकिस्तान सेना के बिजनेस पर किताब लिखने वाली मशहूर लेखक आयशा सिद्दीकी ने पूछा, सवाल यह उठता है कि पाकिस्तान के इंटेलिजेंस के डायरेक्टर को यह भनक क्यों नहीं लग पाई कि भारत कश्मीर में क्या करने की योजना बना रहा है। यह एक सरप्राइज की तरह क्यों हमारे सामने आया?
भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर का विभाजन करने के कदम का विरोध पाकिस्तान इसलिए भी मजबूत तरीके से नहीं कर सकता है क्योंकि 1970 में उसने पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) से एक हिस्सा अलग कर नॉर्दर्न एरिया बना दिया था।नई दिल्ली ने भी जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग कर उसे केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर पाकिस्तान को आईना दिखा दिया है।2009 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने नॉर्दर्न एरिया का नाम बदलकर गिलगिट-बाल्टिस्तान कर दिया था।
कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ खड़े होने वाले इस्लामिक सहयोग संगठन की तरफ से भी अनुच्छेद-370 खत्म किए जाने को लेकर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।जबकि, 4 अगस्त को ही इस्लामिक देशों के संगठन ने कहा था कि भारतीय अधिकृत जम्मू-कश्मीर में बिगड़ते हालात चिंताजनक हैं।
पाकिस्तान के सदाबहार दोस्त चीन भी अभी तक चुप्पी साधे हुए है जबकि नई दिल्ली ने लद्दाख का भी दर्जा बदल दिया है।चीन लद्दाख के बड़े हिस्से जैसे अक्साई चिन पर अपना दावा करता रहता है।
अमेरिका ने भी अनुच्छेद-370 खत्म किए जाने के भारत सरकार के फैसले को आंतरिक मामला माना है।यूएस विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मोर्गन ओर्टागस ने एक बयान में कहा, हम जम्मू-कश्मीर के घटनाक्रमों पर करीब से नजर बनाए हुए हैं।हम इस बात का संज्ञान लेते हैं कि जम्मू-कश्मीर का संवैधानिक दर्जा बदलने के फैसले को भारत ने सख्त तौर पर अपना आंतरिक मामला करार दिया है।उन्होंने दोनों पक्षों से सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने की अपील भी की।
पाकिस्तान को अपनी भारत विरोधी मुहिम में केवल एकमात्र देश तुर्की का साथ मिला है। पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोगान को सोमवार को फोन कर मदद मांगी और उन्होंने भारतीय अधिकृत कश्मीर (IoK) में बदलते हालात पर पाकिस्तान को मदद देने का आश्वासन दिया।
इससे पहले, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने मलेशियाई प्रधानमंत्री महातिर बिन मोहम्मद को भी फोन कर गुहार लगाई।पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान के मुताबिक, महातिर ने कश्मीर के हालात पर चिंता जताई,उन्होंने कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र सभा के सत्र का इंतजार कर रहे हैं और इस दौरान वह इमरान खान से मुलाकात करेंगे।