★मुकेश शर्माप्रदेश अध्यक्ष DPC★
★भोपाल★
{दिल्ली नगर निगम की हठधर्मिता के विरुद्ध,डेमोक्रेटिक प्रेस क्लब के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ फरीद चुगताई ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष को लिखा पत्र}
♂÷लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ यानि प्रेस के दफ्तरों पर नगर निगम के ध्वस्तीकरण की तैयारी कर रहे दिल्ली नगर निगम की हठधर्मिता सम्बंध के चलते एवं लोकतंत्र बचाने के लिए,डेमोक्रेटिक प्रेस क्लब के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ फरीद चुगताई ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष उमाकांत लखेरा को पत्र लिखा है,पत्र में श्री चुगताई ने लिखा है कि,
डीपीसी कार्यालय सहित प्रेस कार्यालयों को मिटाने का अभियान चलाना एवं दिल्ली
नगर निगम की तानाशाही के कारण अब तक हो चुकी है पांच व्यक्तियों की असमय मौतें, नगर निगम द्वारा इन करदाता संपत्तियों, प्रेस दफ्तरों को उजाड़ने, तबाह करने के पीछे सरकार की इच्छा क्या सच्ची पत्रकारिता को समाप्त करना है?
डेमोक्रेटिक प्रेस क्लब ऑफ इंडिया जो पिछले कुछ दिनों से लोकतंत्र के आदर्शो और मूल्यों के लिए सतत संघर्ष कर रहा है । पत्रकारिता के धर्म का पालन करते हुए समाज हित के कार्य कर रहा है । उसके मुख्य कार्यालय आईटीओ नयी दिल्ली सहित दर्जनों अखबारों के कार्यालयों वाली प्रेस लेन को हटाने या समाप्त करने का कार्य दिल्ली नगर निगम द्वारा किया जा रहा है। असामाजिक तत्वों से मिलकर दिल्ली नगर निगम ने अदालत को भी गुमराह किया और लघु समाचार प्रकाशनों के दफ्तरों को ध्वस्त करने की रणनीति बनाई । इसमें आश्चर्य जनक यह है कि नगर निगम ने अपने ही दस्तावेज़ों को नकारते हुए सच प्रकाशित करने वाले अखबारों के दफ्तरों को निशाना बनाया है जो यकीनन एक साज़िश और पक्षपातपूर्ण कारवाई ही माना जा रहा है।
राजधानी दिल्ली , जहाँ न्यायपालिका, कार्यपालिका और व्यवस्थापिका के शीर्ष लोग विराजमान है। वहीं लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया के छोटे मंझले समाचार संस्थान भी अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। नई दिल्ली के बहादुर शाह ज़फ़र मार्ग पर स्थित प्रेस लेन में अनेकों लघु एवं मध्यम समाचार पत्र पत्रिकाएं प्रकाशित होते हैं। यहां से प्रकाशित समाचार पत्रों में अधिकांश आज़ादी से पूर्व के है। कुछ आज़ादी के बाद के भी हैं। इन मीडिया हाउसों के पास वैध बिजली पानी, टेलीफोन कनेक्शन हैं। इसके साथ ही सभी प्रकाशन अपने भू खंड का भू कर प्रॉपर्टी टैक्स भी समय से अदा करते हैं। जिसकी दिल्ली नगर निगम भुगतान रसीद उपलब्ध कराता है एवं साथ ही एक यूपिक कार्ड भी मय पत्र के पोस्टल द्वारा भू स्वामी के पास भेजता है। जिसमें पत्र के माध्यम से लिखा होता है कि उपरोक्त संपत्ति के आप स्वामी हैं।
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम का एक पत्र जो जुलाई 2019 में जारी किया गया है और जिसकी पत्रांक संख्या- कर/ म. क्षे. /द. दि. न. नि. /2019/ डी – 11364 है, जिसमें स्पष्ट लिखा है कि प्रिय करदाता आपको संपत्ति कर विभाग की तरफ से शुभकामनाएं और ग्रह कर के रूप में योगदान के लिए धन्यवाद। अपने करदाताओं को अच्छी सेवाएं देने का हमने निरंतर प्रयास किया है दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में आने वाली सभी संपत्तियों को यूपीक नंबर देना महत्वपूर्ण कदम है। आपकी संपत्ति का 15 अंक का यूपीक नंबर और कार्ड संलग्न है। कार्ड पर क्यूआर कोड भी अंकित है। यह पत्र अतिरिक्त आयुक्त राहुल गर्ग की ओर से जारी किया गया है।
अब प्रश्न उठता है कि जब नगर निगम ने संपत्तियों को रजिस्टर्ड कर दिया। लगातार टैक्स दिया जा रहा है। तो फिर उसे अतिक्रमण कैसे कह सकता है-? यह संपत्तियां एक – दो वर्षों की नहीं बल्कि 35 से 50 वर्ष तक पुरानी हैं।
दिल्ली नगर निगम की हठधर्मिता के कारण प्रेस लेन के भू स्वामी अचानक काल के ग्रास हो रहे हैं। अब तक यहाँ से जीवन यापन कर रहे पांच लोग असमय मौत के ग्रास बन गए। जिसमें उदय मिश्रा जो विभिन्न अखबारों के हाकर थे जब उनको सूचना मिली कि उसका छोटा सा दुकान उजाड़ दिया जाएगा। उस समय वह गाड़ी चला रहे थे कि अचानक उसका बैलेंस बिगड़ा और दुर्घटना का शिकार हो गये। तत्काल ही उसकी मौत हो गई। इसी तरह से इस क्षेत्र में चाय बेचकर परिवार पालने वाले गंगाराम की हार्ड अटैक से मौत हो गई। वेस्ट पेपर का काम करने वाले कंवल तिवारी की भी अचानक मौत हो गई। इस क्षेत्र में पीढ़ी दर पीढ़ी समाचार वितरण एजेंसी का काम करने वाले दया शंकर पांडे भी उजाड़े जाने की खबर सुनने के बाद परलोक सिधार गए। दिल्ली नगर निगम के प्रकोप के कारण कई मीडिया कर्मी और उनका परिवार भयंकर संकट और लाइलाज बीमारियों की चपेट में आ रहा है।
दिल्ली नगर निगम ने असामाजिक तत्वों से मिलकर ऐसी साजिश रची की यहां के भू स्वामियों को बिना सूचना दिए ही इनको ध्वस्त करने की योजना बना डाली। मीडिया दफ्तरों सहित सभी भू स्वामी/ कब्जाधारियों को नोटिस चस्पा कर ध्वस्त करने की धमकी दी। जब यह सूचना प्राप्त हुई तब संबंधित माननीय न्यायालय की शरण मे जाकर गुहार लगानी चाही तो माननीय न्यायालय की उक्त खंडपीठ ने प्रभावितों की गुहार सुनने से इंकार कर दिया। माननीय न्यायालय की खंडपीठ का कहना था कि आप पार्टी ही नहीं है, इसलिए आपको नहीं सुना जा सकता।
बहुत दौड़भाग करने के बाद दूसरी पीठ ने बड़ी मुश्किल से इन लोगों के निवेदन को स्वीकार किया। स्वीकार करने के बाद निचली अदालत में जाने के निर्देश माननीय न्यायालय ने दिए। जिसके आधार पर दिल्ली नगर निगम ट्रब्यूननल में गए। माननीय ट्रब्यूननल ने सुना तो लेकिन नगर निगम द्वारा गुमराह करने के कारण इनके सभी दस्तावेज़ अमान्य करार देते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया। दो दिन बाद शुक्रवार को फैसला देने की बात कह दी।
यहां गौर करने की बात यह थी कि 30 एवम 31 मई 2022 को डेमोलेशन की कार्यवाही होने के दस्तावेज चिपके हैं। 23 मई 2022 को सुने मुकदमे के निर्णय को सुरक्षित रखते हुए 27 मई 2022 को फैसला सुनाने की तिथि सुनश्चित करते हैं। अर्थात शुक्रवार को। ट्रिब्यूनल के निर्णय के विरुद्ध यदि प्रभावित लोग उच्च, एवं सर्वोच्च न्यायालय की शरण मे न जा सके। जो सर्वथा पीड़ित/ प्रभावित के अधिकारों का हनन है।
दिल्ली नगर निगम अपने असामाजिक तत्वों के माध्यम से पहले जनहित याचिका दायर करवाता है। जिसमे गुमराह कर तथ्यों को छुपाकर लोगों के शोषण की शुरुआत की जाती है। इस बीच विभिन्न माध्यमों से अवैध धनउगाही की कोशिशें की जाती हैं। बात न बनने पर धमकी और रोजी रोटी की व्यवस्था को उजाड़ने में लग जाते हैं।
डेमोक्रेटिक प्रेस क्लब इस तरह से मीडिया को सताने और उजाड़ने की कार्यवाही की कड़े शब्दों में निंदा करती है। साथ ही दिल्ली नगर निगम को सचेत करती है है कि अपनी साजिशों से बाज़ आ जाये। साथ ही उक्त परिसरों को न उजाड़ने का आग्रह करती है। यदि उक्त परिसर सरकार की किसी योजना में काम आता है तो वैकल्पिक व्यवस्था किये जाने का आग्रह करती है।
दिल्ली नगर निगम अपने ही दिए दस्तावेज़ों की सच्चाई से मुंह फेरकर इन अखबारों के दफ्तरों को समाप्त कर देना चाहता है। जो सरासर अन्याय और अमानवीय है । श्री चुगताई ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष से इन कार्यालयों को बचाने में हस्तक्षेप करने अपेक्षा की है।