★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{टॉप खालिस्तानी नेता चावला ने करतारपुर कॉरिडोर पर दूसरे दौर की वार्ता से हटाए जाने पर वाट्सएप पर वायरल की अपनी बात}
[भारत ने पाक से जताई थी पैनल में चावला को रखने पर आपत्ति जिस पर पाक ने किया था बाहर]
(12 जुलाई को पाकिस्तान के गुजरांवाला में 72 वर्ष बाद खोला गया गुरुद्वारा)
♂÷पाकिस्तान में खालिस्तान समर्थक नेता गोपाल सिंह चावला की एक ऑडियो क्लिप वायरल हो रही है। इस क्लिप में चावला यह कहते हुए नजर आ रहे हैं कि कोई भी पाकिस्तान में अब ‘पाकिस्तान जिंदाबाद नहीं’ कहेगा। चावला की जो ऑडियो रिकॉर्डिंग वायरल हो रही है उसमें उन्हें कहते हुए सुना जा सकता है कि उनके हर त्याग के बाद भी उन्हें इस पैनल से बाहर रखा गया। आपको बता दें कि पिछले दिनों भारत और पाकिस्तान के बीच करतारपुर कॉरिडोर पर दूसरे दौर की वार्ता हुई। चावला ने अपनी क्लिप पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (पीएसजीपीसी) के व्हाट्स एप ग्रुप पर पोस्ट की थी।
चावला इस ऑडियो क्लिप में कह रहे हैं, ‘पाकिस्तान ने कुत्ता भी नहीं समझा और मुझे फेंक दिया। मैं यह बात इंडियन मीडिया को बता रहा हूं कि यह बलिदान पाकिस्तान के लिए है। लेकिन देखिए पाकिस्तान ने मेरे साथ क्या किया। अब कोई भी पाकिस्तान में, ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ नहीं कहेगा।’ पैनल में चावला की नियुक्ति पर भारत ने आपत्ति दर्ज कराई थी। इसके बाद पाक ने उन्हें हटा दिया। यह और बात है कि पाक ने चावला की जगह जिस शख्स अमीर सिंह को पैनल में रखा है, वह खुद भी खालिस्तान समर्थक हैं। अमीर सिंह, खालिस्तानी नेता बिशन सिंह के भाई हैं और बताया जाता है कि वह पाकिस्तान में जारी खालिस्तान आंदोलन के टॉप लीडर्स में से एक हैं।
पीएसजीपीसी पैनल ही करतारपुर कॉरिडोर की सारी गतिविधियों पर नजर रखेगा जिसमें भारत से पाकिस्तान के नारोवाल में आने वाले सिख श्रद्धालु के मूवमेंट भी शामिल होगा। नारोवाल, पाकिस्तान के करतारपुर में आता है और यहीं पर गुरुद्वारा दरबार साहिब स्थित है। खालिस्तानी नेताओं की मौजूदगी से इस बात का इशारा मिला था कि पाक, करतापुर कॉरिडोर को सिर्फ एक ऐसे मौके के तौर पर देख रहा है जिसकी मदद से वह खालिस्तान आंदोलन को फिर से तेज कर सकता है। चावला, पीएसजीपीसी में सचिव के पद पर थे और उन्हें हटा दिया है। इसके बाद भी वह इवाक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) के गैर-आधिकारिक सदस्य के तौर पर मौजूद हैं। ट्रस्ट ही पीएसजीपीसी को कंट्रोल करता है और अप्रत्यक्ष तौर पर वह पीएसजीपीसी के कामकाज में हस्तक्षेप करते रहेंगे। 12 जुलाई को जब गुंजरावाला में गुरुद्वारा खारा साहिब को 72 वर्ष बाद दोबारा खोला गया तो चावला वहां मौजूद थे।