★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
{तीन दिन बीतने के साथ ही तेवर सख़्त कर रही शिवसेना ने कहा 50-50 फार्मूले के साथ बनेगी सरकार होगा सीएम मेरा लिखित दे अमित शाह}
[2014 में अलग लड़कर 122 सीट लाने वाली बीजेपी इस बार गठबंधन में जीत पाई है 105 सीटे, शिवसेना भी सिमटी हैं 56 सीटों पर]
(एनसीपी 54 सीट तो काँग्रेस ने भी जीते हैं 45 सीट,दोनो पार्टियों की सीटें 2014 के मुक़ाबिल बढ़ी)
♂÷महाराष्ट्र में सरकार के गठन को लेकर बीजेपी-शिवसेना के बीच रस्साकशी बढ़ गई है शिवसेना ने बड़े भाई बन रहे बीजेपी को अपनी मांगों के जरिये नाकों चने चबवाने के लिए हर वो कदमों को उठाने से नही हिचक रही है जिससे कि उसकी माँग पूरी हो सके वैसे अभी तक बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के द्वारा शिवसेना की बयानबाज़ी पर कोई जवाब नही दिया गया है तो वहीँ मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने स्पष्ट कर दिया है कि बीजेपी के नेतृत्व में ही सरकार बनेगी जनता ने बीजेपी शिवसेना गठबंधन को सरकार बनाने के लिए जनादेश दिया है।
वहीं महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के रिजल्ट आए तीन दिन बीत जाने के बावजूद वहां सरकार का गठन नहीं हो पाया है। कहने को तो बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को सरकार बनाने के लिए पूर्ण बहुमत मिल चुका है, लेकिन सत्ता में भागीदारी को लेकर दोनों ही पार्टियों के बीच रस्साकशी जारी है, शिवसेना ने बीजेपी की मुश्किलों को बढ़ाते हुए 50-50 के फॉर्मूले पर अड़ गई है।शिवसेना किसी भी कीमत पर अपने हितों से समझौता करने के मूड में नजर नहीं आ रही है।
2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों ने बीजेपी की उम्मीदों पर चोट पहुंचाई है।इस अप्रत्याशित नतीजे में बीजेपी को कुल 105 सीटों से ही संतोष करना पड़ा, जबकि 2014 के विधानसंभा चुनाव में बीजेपी को 122 सीटें मिली थीं।गौरतलब है कि 288 विधानसभा सीटों वाली महाराष्ट्र असेंबली में बहुमत के लिए 145 सीटों की आवश्यकता है।
हालांकि बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को सरकार बनाने के आंकड़े से अधिक कुल 161 सीटें मिलीं है, जो बहुमत के लिए जरूरी आंकड़े से 16 सीटें अधिक हैं। इसके बावजूद बीजेपी को 2019 के विधानसभा चुनाव में पिछले 2014 के मुकाबले इस गठबंधन को कुल 24 सीटों का नुकसान हुआ है, इसमें बीजेपी को 105 सीटें मिली हैं, जबकि शिवसेना को 56 सीटें मिली हैं। उल्लेखनीय है कि इस बार बीजेपी ने कुल 164 सीटों पर चुनाव लड़ा था।
2014 के मुकाबले इस बार बीजेपी को 17 सीटों का नुकसान हुआ है पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कुल 122 सीटें मिली थीं, जबकि शिवसेना ने 73 सीटों पर कब्जा किया था। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन को 2014 के मुकाबले 16 सीटों का लाभ हुआ है,बता दें कि 2019 के चुनाव में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन को कुल 99 सीटें मिली हैं, जिसमें से 54 सीटें एनसीपी को मिली है और 45 सीटों पर कांग्रेस के खाते में गईं।
बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को कुल 161 सीटें मिली हैं।
विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के साथ ही शिवसेना विपक्ष के सुर में सुर मिलते हुए बीजेपी पर हमलावर हो गई।शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि चुनाव के परिणाम अप्रत्याशित हैं। इसके साथ ही ठाकरे ने यह स्पष्ट कर दिया कि वो अब अपने हितों से समझौता नहीं करेंगे शिवसेना ने अपने सभी विकल्प खोल रखे हैं। इस दौरान ठाकरे ने एनसीपी प्रमुख की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि शरद पवार की सफलता से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है वो एनसीपी के इस शानदार प्रदर्शन से काफी खुश हैं।
वहीं शिवसेना के साथ ही प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस और एनसीपी का भी मनोबल सातवें आसमान पर है।कांग्रेस ने यहां तक कह दिया कि यह जनादेश बीजेपी के खिलाफ है, इसलिए सभी विपक्षी पार्टियों को बीजेपी के खिलाफ एक हो जाना चाहिए।
शिवसेना के मुखपत्र सामना में एक लेख के जरिए बीजेपी पर निशाना साधा गया है, इस लेख के द्वारा शिवसेना ने स्पष्ट कर दिया कि अब वह बीजेपी के धौंस को नहीं सहेगी।सामना ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार की तारीफ करते हुए लिखा कि विपरीत परिस्थितियों में एनसीपी ने जिस तरह शानदार प्रदर्शन किया है, वह तारीफ के काबिल है।
लेख में लिखा गया है कि एक समय ऐसा लग रहा था कि माहौल पूरी तरह से उनके विपरीत है, लेकिन सबसे बड़ी छलांग तो एनसीपी ने लगाई और 54 सीटों पर विजय हांसिल की। वहीं बीजेपी 122 से नीचे आकर 102 में रह गई साथ ही शिवसेना सांसद संजय राउत ने एक कार्टून के जरिए बीजेपी को निशाने पर भी लिया है।
शिवसेना ने रिजल्ट आने के बाद स्पष्ट किया है कि विधानसभा चुनाव में गठबंधन की हिंदुत्व के मुद्दे पर जीत हुई है। शिवसेना ने कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के वादे के मुताबिक तय हुए 50-50 के फॉर्मूले के आधार पर ही शिवसेना को सत्ता में हिस्सेदारी चाहिए, इस फॉर्मूले पर बीजेपी के लिखित आश्वासन के बाद ही शिवसेना गठबंधन सरकार बनाने में अपना समर्थन देगी।
शिवसेना मुख्यमंत्री की कुर्सी के साथ ही मंत्रालयों में भी 50-50 प्रतिशत की भागेदारी चाहती है।
शिवसेना के नवनिर्वाचित विधायक प्रताप सरनाइक ने पार्टी की तरफ से कहा कि दोनों पार्टियों के बीच मुख्यमंत्री के पद को ढाई-ढाई साल और अन्य मत्रालयों का भी बंटवारा 50-50 के फॉर्मूले के आधार पर होना चाहिए। बीजेपी को इस फॉर्मूले को लागू करने का लिखित आश्वासन उद्धव ठाकरे को देना होगा।इसके बाद ही नई गठबंधन सरकार का गठन हो सकता है।
फिलहाल सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या बीजेपी शिवसेना की मांग के सामाने अपने घुटने टेक देगी, परिस्थितियां तो कुछ ऐसी ही हैं,बीजेपी को पिछली बार से कम सीटें मिली हैं हालांकि इससे पहले भी शिवसेना सहयोगी बीजेपी पर दबाव बनाने का प्रयास कर चुकी है वैसे देखा जाए तो बीजेपी की सीटें इतनी भी कम नहीं हैं कि वह शिवसेना के दबाव में आसानी से आ जाए लेकिन यह भी स्पष्ट है कि बीजेपी अपने बूते सरकार नहीं बना सकती है।
बीजेपी की मजबूरी है कि सारे निर्दलीय विधायकों के समर्थन के बावजूद अपने बूते सरकार नहीं बना सकती है।
बीजेपी की राजनीतिक मजबूरी है कि वह निर्दलीय विधायकों के समर्थन लेकर भी सरकार नहीं बना सकती है।बीजेपी की इस मजबूरी को शिवसेना समझ रही है इसलिए शिवसेना परिस्थितियों का पूरा लाभ उठाना चाहती है। शिवसेना ने प्रमुख उद्धव ठाकरे पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि वो मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अपनी दावेदारी से पीछे नहीं हटेंगे इसके साथ ही गृह, शहरी विकास, राजस्व और पीडब्ल्यूडी जैसे मंत्रालयों पर भी उनकी नजर है।
चुनाव में आए नतीजे शिवसेना को अपनी बात मजबूती से कहने की हिम्मत दी है।गौरतलब है कि पिछले कार्यकाल के दौरान भी बीजेपी और शिवसेना के बीच मंत्रालयों को लेकर काफी मतभेद देखे गए थे, लेकिन संख्या बल के चलते उनको बीजेपी के शर्तों पर समझौता करना पड़ा था। हालांकि इस बार के नतीजों के बाद स्थितियां काफी बदल गई हैं अबकी बार बीजेपी के लिए सरकार बनाना व चलाना इतना आसान नहीं होगा।