★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★

{काँग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी के राजनीतिक सलाहकार पटेल देख रहे हैं”महाराष्ट्र मिशन”मनमोहन सरकार के गठन में निभायी थी बड़ी भूमिका}
[एक बार लोकसभा तो 1993 से लगातार 5वी बार राज्यसभा में पहुँचे पटेल पर्दे के पीछे की राजनीति करने में करते हैं विश्वास]
(वर्ष 2000 में सोनिया का अपने निजी सचिव विन्सेट जॉर्ज से मनमुटाव के बाद अमहद पटेल की खुली किस्मत बनाये गए राजनीतिक सलाहकार)
♂÷कहते हैं कि कब किसकी क़िस्मत साथ देने पर आ जाती है तो उस शख़्स को जमीं से उठाकर आसमां में बिठा देने में देर नही लगाती।
कुछ ऐसी ही क़िस्मत व हाथ मे राजयोग की लकीरों वाले हैं सोनिया गाँधी के राजनीतिक सलाहकार व राज्यसभा सदस्य अहमद पटेल।
महाराष्ट्र में शिवसेना के द्वारा बीजेपी से गठबंधन तोड़ने के बाद यू तो काँग्रेस ने प्रदेश स्तरीय नेताओं को लगाया ही है बातचीत करने के लिए किन्तु हाईकमान ने जिस शख़्स के ऊपर सारी रणनीति तय करने के दारोमदार दे डाले है वह निश्चित रूप से अहमद पटेल ही हैं।
यूपीए की मनमोहन सिंह सरकार के दौरान काँग्रेस यूपीए चेयरपर्सन पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के सबसे करीबी नेताओं में शुमार अहमद पटेल एक बार पार्टी को उबारने के लिए कांग्रेस का ”तुरुप का इक्का’ बनकर सामने आए हैं । महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी के साथ गठबंधन करके सरकार बनाने की जो क़वायद इस समय जारी है , उसमें अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी की रणनीति बनाने व उसको मुक़ाम तक पहुँचाने के लिए एक बार फ़िर अपने राजनीतिक सलाहकार व राज्यसभा सदस्य अहमद पटेल को अगुवाई दी है।वह इस समय कांग्रेस के लिए फिर से एक मंझे हुए रणनीतिकार की भूमिका निभा रहे हैं, जैसी उन्होंने मनमोहन सरकार के कार्यकाल के दौरान निभाई थी ।
सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल न केवल उनके सलाहकारों के रूप में पार्टी में हैं , बल्कि वह एक कुशल रणनीतिकार भी कहे जाते हैं । बता दें कि अहमद पटेल 2017 में लगातार 5वीं बार राज्यसभा पहुंचे हैं । पटेल 1977 में 26 साल की उम्र में भरुच से लोकसभा चुनाव जीतकर तब के सबसे युवा सांसद बने थे ।
इसके बाद 1993 से लगातार वह राज्यसभा सदस्य हैं । अहमद पटेल पर्दे के पीछे की राजनीति में भरोसा करते रहे हैं , इसलिए राजनीति में रुचि रखने वाले लोग कांग्रेस के इस दिग्गज के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते हैं ।
अहमद पटेल काँग्रेस के लिए कितनी अहमियत रखते हैं इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि जब वह राज्यसभा सदस्य के लिए काँग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे थे तब ख़ुद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह उनको हर हाल में परास्त करने के लिए कमान संभाली हुई थी।चुनाव में वोटिंग के दौरान एक विधायक के द्वारा वोट डालते समय उजागिर कर दिए जाने पर मचे भारी विवाद पर काँग्रेस के टॉप लीडर सड़को पर उतर आए थे तो कपिल सिब्बल,पी चिदम्बरम, अभिषेक मनु सिंघवी समेत लोग सुप्रीम कोर्ट रात में ही पहुँच गए थे।
-अहमद पटेल 1977 से 1982 तक गुजरात की यूथ कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे ।
- सितंबर 1983 से दिसंबर 1984 तक वो ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के जॉइंट सेक्रेटरी रहे ।
-1985 में जनवरी से सितंबर तक वो प्रधानमंत्री राजीव गांधी के संसदीय सचिव रहे ।
-सितंबर 1985 से जनवरी 1986 तक पटेल ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के जनरल सेक्रेटरी रहे।
-जनवरी 1986 में गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष बने और अक्टूबर 1988 तक इस पद पर रहे। - 1991 में नरसिम्हा राव के पीएम बनने के दौरान पटेल को कांग्रेस वर्किंग कमेटी का सदस्य बनाया गया ।
-1996 में उन्हें ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी का कोषाध्यक्ष बनाया गया था। यह वह समय था जब सीताराम केसरी पार्टी के अधय्क्ष हुआ करते थे । - वर्ष 2000 में उनकी भूमिका थोड़ी बदली , जब सोनिया गांधी का अपने निजी सचिव वी जॉर्ज से मनमुटाव हुआ । उनके अपना पद छोड़ने के बाद 2001 में अहमत पटेल सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार बन गए ।
- पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को 2004 में गिराकर यूपीए की मनमोहन सरकार बनाने में उनका अहम योगदान माना जाता है ।
हालाँकि ये भी चर्चा रही कि जब राहुल गाँधी काँग्रेस अध्यक्ष रहे तो अहमद पटेल का रुतबा कम रहा था अब एक बार फ़िर सोनिया गाँधी के अंतरिम अध्यक्ष बनते ही कहना गलत न होगा कि पटेल फ़िर से सर्वाधिक ताकतवर नेताओं में शुमार हैं जिनकी बाते व राय सोनिया गाँधी भी मानती हैं।